एक नज़र सच्चाई पर !
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लगभग प्रत्येक भारतीय के
घर एक से ज्यादा टी वी है /
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बच्चे एक साल में लगभग
४०००० से अधिक विज्ञापन फिल्मे देख लेते है /
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65 साल की उम्र तक
पहुचने पर इनकी संख्या दो लाख तक हो जाती है /
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दो से तीन साल तक की
उम्र में बच्चे विज्ञापन समझने लगते है /
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लगभग 97 % बच्चे जिनकी
उम्र पांच साल से सात साल होती है विज्ञापन द्वारा उत्पादों को समझने लगते है /
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55 से 60 % तक बच्चे फ़िल्मी हस्तियों के नाम तो
जान जाते है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी
शासकीय लोगो के नाम नहीं जानते है /
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औसतन एक घर में
06 से सात घंटे तक टी वी देखा जाता है /
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जो हफ्ते में
50 घंटे तक हो जाता है /लेकिन बच्चो के साथ ज्ञान वर्धक बाते करने में महज 40 से
50 मिनट ही व्यतीत करते है माता पिता !
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एक अनुमान के
मुताबिक बच्चे के द्वारा स्कूल में बिताया गया समय 1200 ग्फ्हंतेय होता है वाही उन बच्चो के द्वारा घर
में टी वी देखने में बिताया गया समय 1500 घंटे होता है ( एक माह में )
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वही 4 से ६
साल तक के बच्चो के द्वारा रोजाना डेड़ से दो घंटे मन से टी वी देखने में व्यतीत कर
देते है लेकिन एक किताब को मन से पड़ने में मात्र 40 मिनट !
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औसतन सिर्फ 56% बच्चे ही टी वी के न चालू करने पर ही
पड़ते है /
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75 से 80०% तक माता
पिता बच्चे के काम पूरा करने के बाद टी वी
देखने का प्रलोभन देते है !
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१८ साल तक की
उम्र तक पहुचते पहुचते बच्चे करीब 1.5 लाख के करीब अपराध पर आधारित कार्यक्रम देख
लेते है /
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इनमे से कुछ
ऐसे कार्यक्रम होते है जो अपना प्रभाव लम्बे समय तक उनके दिमाग पर बनाय रखते है /
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जिससे
प्रभावित होकर कुछ अपराध की दुनिया की और मुद जाते है /
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70% से 80% तक
बच्चे जिनकी उम्र 5 साल से सात साल तक होती है अकेले टी वी देखना पसंद करते है /
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ऐसे में मनोचिकित्सक
बच्चो को प्रति दिन 60 मिनट शारीरिक व्यायाम करनी की सलाह देते है , ऐसा न करने
वाले बच्चे अक्सर मोटापा चिडचिडापन व कई अन्य बीमारियों से ग्रस्त हो जाते है /
स्रोत :-upmlp UPMLP